Priyanka Verma

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लेखनी - ये जहां..

ये जहां...


मैं देखती हूं,जो ये सारा जहां,
क्या पता कब चला जाए कहां?
ठहरे नहीं ठहरता यह,
रोके नहीं रुकता यह,
निरंतर, गतिशील, प्रगतिशील ये जहां,
क्या पता कब चला जाए कहां?
अनगिनत जीवन इस जहां में,
सुख दुख पाते, धूप छांव में,
जिंदगी से लिपटा ये जहां,
क्या पता कब चला जाए कहां??


प्रियंका वर्मा
6/8/22

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7 Comments

Priyanka Verma

07-Aug-2022 12:55 PM

Thank you so much 🙏🙏🎊🎉🎉💐💐💐💐

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Gunjan Kamal

07-Aug-2022 10:42 AM

शानदार

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बहुत ही प्रेरक और दार्शनिक भाव हैं

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